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प्रसन्नता का कोई मार्ग नहीं है; प्रसन्नता ही मार्ग है।

परिचय "प्रसन्नता का कोई मार्ग नहीं है; प्रसन्नता ही मार्ग है" – यह बात सुनने में जितनी गहरी है, उतनी ही सरल भी। इसका मतलब है कि खुशी कोई ऐसी चीज नहीं, जो किसी खास रास्ते पर चलकर या कोई बड़ा लक्ष्य पाकर मिले। खुशी तो हमारे अंदर ही है, बस हमें उसे महसूस करने का तरीका सीखना है। यह कथन हमें बताता है कि खुशी कोई मंजिल नहीं, बल्कि हमारे जीने का ढंग, हमारा नजरिया और हर पल को जीने की कला है। इस निबंध में हम इस बात को आसान भाषा में समझेंगे और देखेंगे कि यह हमारे रोजमर्रा के जीवन में कैसे लागू होती है।  खुशी का मतलब: क्या और कैसे? खुशी को हर कोई अपने तरीके से समझता है। कोई इसे पैसों में ढूंढता है, कोई रिश्तों में, तो कोई कामयाबी में। लेकिन भारतीय संस्कृति और दर्शन हमें सिखाते हैं कि सच्ची खुशी बाहर की चीजों पर टिकी नहीं होती। जैसे, भगवद्गीता कहती है कि असली सुख वो है, जो मन की शांति से मिले। बुद्ध ने भी यही कहा कि हमारी इच्छाएं और लालच ही दुख का कारण हैं। अगर हम इन्हें छोड़ दें, तो खुशी अपने आप मिलेगी।   पश्चिमी दर्शन में भी अरस्तू ने कहा था कि खुशी अच्छे काम करने और अच...